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दिल से पूछा तू कहाँ है तो कहा तुझ को क्या | शाही शायरी
dil se puchha tu kahan hai to kaha tujhko kya

ग़ज़ल

दिल से पूछा तू कहाँ है तो कहा तुझ को क्या

मीर मोहम्मदी बेदार

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दिल से पूछा तू कहाँ है तो कहा तुझ को क्या
किस की ज़ुल्फ़ों में निहाँ है तो कहा तुझ को क्या

चश्म-ए-गिर्यां से शब-ए-वस्ल में पूछा मैं ने
अब तू क्यूँ अश्क-फ़िशाँ है तो कहा तुझ को क्या

जब कहा मैं ने कि नीं बोलते हो गाली बिन
जान ये कौन ज़बाँ है तो कहा तुझ को क्या

कहने लागा दिल-ए-गुम-गश्ता तिरा है मुझ पास
जब कहा मैं ने कहाँ है तो कहा तुझ को क्या

जब कहा मैं ने कि ऐ जान तिरी सूरत पर
शेफ़्ता पीर-ओ-जवाँ है तो कहा तुझ को क्या

जब कहा मैं ने कि ऐ सर्व-ए-रियाज़-ए-ख़ूबी
किस का तू आफ़त-ए-जाँ है तो कहा तुझ को क्या

दिल से 'बेदार' ने पूछा कि तिरे सीने पर
किस के नावक का निशाँ है तो कहा तुझ को क्या