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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना | शाही शायरी
dil pe mushkil hai bahut dil ki kahani likhna

ग़ज़ल

दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना

कुंवर बेचैन

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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना
जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना

कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया
मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना

आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा
अब के ख़त में तो कोई बात पुरानी लिखना

कुछ भी लिखने का हुनर तुझ को अगर मिल जाए
इश्क़ को अश्कों के दरिया की रवानी लिखना

इस इशारे को वो समझा तो मगर मुद्दत बा'द
अपने हर ख़त में उसे रात-की-रानी लिखना