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दिल ने वफ़ा के नाम पर कार-ए-वफ़ा नहीं किया | शाही शायरी
dil ne wafa ke nam par kar-e-wafa nahin kiya

ग़ज़ल

दिल ने वफ़ा के नाम पर कार-ए-वफ़ा नहीं किया

जौन एलिया

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दिल ने वफ़ा के नाम पर कार-ए-वफ़ा नहीं किया
ख़ुद को हलाक कर लिया ख़ुद को फ़िदा नहीं किया

ख़ीरा-सरान-ए-शौक़ का कोई नहीं है जुम्बा-दार
शहर में इस गिरोह ने किस को ख़फ़ा नहीं किया

जो भी हो तुम पे मो'तरिज़ उस को यही जवाब दो
आप बहुत शरीफ़ हैं आप ने क्या नहीं किया

निस्बत इल्म है बहुत हाकिम-ए-वक़त को अज़ीज़
उस ने तो कार-ए-जहल भी बे-उलमा नहीं किया

जिस को भी शैख़ ओ शाह ने हुक्म-ए-ख़ुदा दिया क़रार
हम ने नहीं क्या वो काम हाँ ब-ख़ुदा नहीं किया