दिल न माना मना के देख लिया
लाख समझा-बुझा के देख लिया
लोग कहते हैं दिल लगाना जिसे
रोग वो भी लगा के देख लिया
बेवफ़ाई है तेरी रग रग में
आज़मा आज़मा के देख लिया
ज़ख़्म दिल का है ला-दवा यारो
चारागर को दिखा के देख लिया
उन से निभता नहीं कोई रिश्ता
दोस्त दुश्मन बना के देख लिया
ग़ज़ल
दिल न माना मना के देख लिया
सदा अम्बालवी