दिल मिरा आज मेरे पास नहीं
मुझ में कुछ होश और हवास नहीं
दिल लगाया जहाँ जफ़ा देखी
क्या बला इश्क़ मुझ को रास नहीं
पास है यास गर्द है दिल की
और अब कोई आस-पास नहीं
आप तो अपना अर्ज़ कर ले हाल
दिल हमें ताब-ए-इल्तिमास नहीं
यूँ ख़ुदा चाहे तो मिला दे उसे
वस्ल की पर हमें तो आस नहीं
मैं भी कुछ हो गया हूँ पज़मुर्दा
दिल ही मेरा फ़क़त उदास नहीं
क्या मिले तुझ से कोई दिल-दादा
आश्नाई की तुझ में बास नहीं
है ग़फ़ूरुर-रहीम तेरी ज़ात
सब से है यास तुझ से यास नहीं
एक डर है तो दोस्त का मुझ को
दुश्मनों से तो कुछ हिरास नहीं
तेरे ख़ातिर ये सब से दूर हुआ
तू भी तुझ को 'हसन' का पास नहीं
ग़ज़ल
दिल मिरा आज मेरे पास नहीं
मीर हसन