दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज
कोई दिलबर बे-मिसाल आता है आज
क्यूँ पड़ा बेहोश उठ हातिफ़ से अब
है निदा साहब-ए-जमाल आता है आज
संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिए
तिस पे वो दामन सँभाल आता है आज
मुश्तरी ओ ज़ोहरा बाहम साद हैं
इस लिए अबरू हिलाल आता है आज
तुम सिवा 'चंदा' के दिल में या अली
किस की अज़्मत का जलाल आता है आज
ग़ज़ल
दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज
मह लक़ा चंदा