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दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज | शाही शायरी
dil mein mere phir KHayal aata hai aaj

ग़ज़ल

दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज

मह लक़ा चंदा

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दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज
कोई दिलबर बे-मिसाल आता है आज

क्यूँ पड़ा बेहोश उठ हातिफ़ से अब
है निदा साहब-ए-जमाल आता है आज

संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिए
तिस पे वो दामन सँभाल आता है आज

मुश्तरी ओ ज़ोहरा बाहम साद हैं
इस लिए अबरू हिलाल आता है आज

तुम सिवा 'चंदा' के दिल में या अली
किस की अज़्मत का जलाल आता है आज