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दिल में दिलदार निहाँ था मुझे मा'लूम न था | शाही शायरी
dil mein dildar nihan tha mujhe malum na tha

ग़ज़ल

दिल में दिलदार निहाँ था मुझे मा'लूम न था

बाक़र आगाह वेलोरी

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दिल में दिलदार निहाँ था मुझे मा'लूम न था
इधर-उधर में दवाँ था मुझे मा'लूम न था

सर-ब-सर अन्फ़ुस-ओ-आफ़ाक़ में है उस का ज़ुहूर
पर्दा उस रुख़ का अयाँ था मुझे मा'लूम न था

सहल समझा था मैं हालाँ कि ये इश्क़-ए-ज़ालिम
वक़्फ़ ख़ूनीं-जिगराँ का था मुझे मालूम न था

बा'द मुद्दत दिल-ए-गुमराह से मैं ने जो मिला
कहा रो रो के कहाँ था मुझे मा'लूम न था

मशरब-ए-आशिक़-ए-बे-नाम-ओ-निशाँ मैं 'आगाह'
ला-मकाँ ऐन मकाँ था मुझे मा'लूम न था