दिल में दिलदार निहाँ था मुझे मा'लूम न था
इधर-उधर में दवाँ था मुझे मा'लूम न था
सर-ब-सर अन्फ़ुस-ओ-आफ़ाक़ में है उस का ज़ुहूर
पर्दा उस रुख़ का अयाँ था मुझे मा'लूम न था
सहल समझा था मैं हालाँ कि ये इश्क़-ए-ज़ालिम
वक़्फ़ ख़ूनीं-जिगराँ का था मुझे मालूम न था
बा'द मुद्दत दिल-ए-गुमराह से मैं ने जो मिला
कहा रो रो के कहाँ था मुझे मा'लूम न था
मशरब-ए-आशिक़-ए-बे-नाम-ओ-निशाँ मैं 'आगाह'
ला-मकाँ ऐन मकाँ था मुझे मा'लूम न था
ग़ज़ल
दिल में दिलदार निहाँ था मुझे मा'लूम न था
बाक़र आगाह वेलोरी