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दिल की राहें रौशन करते रहते हैं | शाही शायरी
dil ki rahen raushan karte rahte hain

ग़ज़ल

दिल की राहें रौशन करते रहते हैं

नदीम फ़ाज़ली

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दिल की राहें रौशन करते रहते हैं
किस के घुंघरू छन-छन करते रहते हैं

दुनिया जिस की खोज में पागल फिरती है
हम तो उस के दर्शन करते रहते हैं

इन्दर की बे-रंगी शायद छुप जाए
बाहर रंग-ओ-रोग़न करते रहते हैं

उन से पूछो आने वाली रुत का हाल
जो पतझड़ को सावन करते रहते हैं

उन के दिल में घर कर लेना मुश्किल है
चट्टानों में रौज़न करते रहते हैं

चुप रहते हैं जिन में कुछ भी होता है
ख़ाली डब्बे खन-खन करते रहते हैं