दिल की मंज़िल उस तरफ़ है घर का रस्ता इस तरफ़
एक चेहरा उस तरफ़ है एक चेहरा इस तरफ़
रौशनी के इस्तिआ'रे उस किनारे रह गए
अब तो शब में कोई जुगनू है ना तारा इस तरफ़
तुम हवा उन खिड़कियों से सिर्फ़ इतना देखना
उस ने कोई ख़त किसी के नाम लिक्खा इस तरफ़
ये मोहब्बत भी अजब तक़्सीम के मौसम में है
सारा जज़्बा इस तरफ़ है सिर्फ़ लहजा इस तरफ़
माँ ने कोई ख़ौफ़ ऐसा रख दिया दिल में मिरे
सच कभी मैं बोल ही पाई न पूरा इस तरफ़
एक हल्की सी चुभन एहसास को घेरे रही
गुफ़्तुगू में जब तुम्हारा ज़िक्र आया इस तरफ़
सिर्फ़ आँखें काँच की बाक़ी बदन पत्थर का है
लड़कियों ने किस तरह रूप धारा इस तरफ़
ऐ हवा ऐ मेरे दिल के शहर से आती हवा
तुझ को क्या पैग़ाम दे कर उस ने भेजा इस तरफ़
किस तरह के लोग हैं ये कुछ पता चलता नहीं
कौन कितना उस तरफ़ है कौन कितना इस तरफ़
ग़ज़ल
दिल की मंज़िल उस तरफ़ है घर का रस्ता इस तरफ़
नोशी गिलानी