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दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा | शाही शायरी
dil KHuda jaane kis ke pas raha

ग़ज़ल

दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा

मीर हसन

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दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा
इन दिनों जी बहुत उदास रहा

क्या मज़ा वस्ल में मिला उस के
मैं रहा भी तो बे-हवास रहा

यूँ खिला अपना ये गुल-ए-उम्मीद
कि सदा दिल ये दाग़-ए-यास रहा

शाद हूँ मैं कि देख मेरा हाल
ग़ैर करने से इल्तिमास रहा

जब तलक कि जिया 'हसन' तब तक
ग़म मिरे दिल पे बे-क़यास रहा