दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा
इन दिनों जी बहुत उदास रहा
क्या मज़ा वस्ल में मिला उस के
मैं रहा भी तो बे-हवास रहा
यूँ खिला अपना ये गुल-ए-उम्मीद
कि सदा दिल ये दाग़-ए-यास रहा
शाद हूँ मैं कि देख मेरा हाल
ग़ैर करने से इल्तिमास रहा
जब तलक कि जिया 'हसन' तब तक
ग़म मिरे दिल पे बे-क़यास रहा

ग़ज़ल
दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा
मीर हसन