EN اردو
दिल है बेताब इल्तिजा के लिए | शाही शायरी
dil hai betab iltija ke liye

ग़ज़ल

दिल है बेताब इल्तिजा के लिए

ओम प्रकाश बजाज

;

दिल है बेताब इल्तिजा के लिए
छेड़ दो बात इब्तिदा के लिए

बू-ए-गुल लूटती लुटाती है
मश्ग़ला ख़ूब है सबा के लिए

मौज-ए-तूफ़ाँ में अब मिरी कश्ती
नाख़ुदा छोड़ दे ख़ुदा के लिए

हौसले से जहाँ में सब कुछ है
ये दवा है हर इक बला के लिए

तेरी रहमत पे हर्फ़ आता है
हाथ उठें अगर दुआ के लिए

शहर में दश्त में पहाड़ों में
हम भटकते फिरे वफ़ा के लिए