दिल-ए-पुर-ख़ूँ जो जाम है मेरा
ख़ून शर्ब-ए-मुदाम है मेरा
रिंद-ओ-आवारा नाम है मेरा
सब में ये एहतिराम है मेरा
आरिज़ ओ ज़ुल्फ़-ए-यार का ध्यान
मूनिस-ए-सुब्ह-ओ-शाम है मेरा
उम्र गुज़री कि मिस्ल-ए-नक़्श-ए-क़दम
उस की रह में क़याम है मेरा
आह इक दिन भी देख कर न कहा
ये भी कुइ नक़्श-ए-गाम है मेरा
क़ासिद उस हर्फ़-ए-ना-शुनू तक जल्द
यही जागह पयाम है मेरा
अभी आना है तो शिताबी आ
काम वर्ना तमाम है मेरा
है उसी बुत के ताक़-ए-अबरू को
जो सुजूद ओ सलाम है मेरा
गाह बे-ख़ुद हूँ गह ब-ख़ुद हर दम
कूच और ये मक़ाम है मेरा
ऐ 'जहाँदार' हूँ मैं सैद-ए-असीर
हर ख़म-ए-ज़ुल्फ़ दाम है मेरा
ग़ज़ल
दिल-ए-पुर-ख़ूँ जो जाम है मेरा
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार