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ढब देखे तो हम ने जाना दिल में धुन भी समाई है | शाही शायरी
Dhab dekhe to humne jaana dil mein dhun bhi samai hai

ग़ज़ल

ढब देखे तो हम ने जाना दिल में धुन भी समाई है

मीराजी

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ढब देखे तो हम ने जाना दिल में धुन भी समाई है
'मीरा-जी' दाना तो नहीं है आशिक़ है सौदाई है

सुब्ह-सवेरे कौन सी सूरत फुलवारी में आई है
डाली डाली झूम उठी है कली कली लहराई है

जानी-पहचानी सूरत को अब तो आँखें तरसेंगी
नए शहर में जीवन-देवी नया रूप भर लाई है

एक खिलौना टूट गया तो और कई मिल जाएँगे
बालक ये अनहोनी तुझ को किस बैरी ने सुझाई है

ध्यान की धुन है अमर गीत पहचान लिया तो बोलेगा
जिस ने राह से भटकाया था वही राह पर लाई है

बैठे हैं फुलवारी में देखें कब कलियाँ खिलती हैं
भँवर भाव तो नहीं है किस ने इतनी राह दिखाई है

जब दिल घबरा जाता है तो आप ही आप बहलता है
प्रेम की रीत इसे जानो पर होनी की चतुराई है

उम्मीदें अरमान सभी जुल दे जाएँगे जानते थे
जान जान के धोके खाए जान के बात बढ़ाई है

अपना रंग भला लगता है कलियाँ चटकीं फूल बनीं
फूल फूल ये झूम के बोला कलियो तुम को बधाई है

आबशार के रंग तो देखे लगन मंडल क्यूँ याद नहीं
किस का ब्याह रचा है देखो ढोलक है शहनाई है

ऐसे डोले मन का बजरा जैसे नैन-बीच हो कजरा
दिल के अंदर धूम मची है जग में उदासी छाई है

लहरों से लहरें मिलती हैं सागर उमडा आता है
मंजधार में बसने वाले ने साहिल पर जोत जगाई है

आख़िरी बात सुनाए कोई आख़िरी बात सुनीं क्यूँ हम ने
इस दुनिया में सब से पहले आख़िरी बात सुनाई है