देखी बहार हम ने कल ज़ोर मय-कदे में
हँसने सीं उस सजन के था शोर मय-कदे में
थे जोश-ए-मुल सीं ऐसी शोरिश में दाग़ दिल के
गोया कि कूदते हैं ये मोर मय-कदे में
फंदा रखा था मैं ने शायद कि वो परी-रू
देखे तो पास मेरे हो दौर मय-कदे में
है आरज़ू कि हमदम वो माह-रू हो मेरा
दे शाम सीं जो प्याला हो भोर मय-कदे में
साक़ी वही है मेरा 'नाजी' कि गर मरूँ मैं
मुझ वास्ते बना दे जा गोर मय-कदे में
ग़ज़ल
देखी बहार हम ने कल ज़ोर मय-कदे में
नाजी शाकिर