दस्तक दे ज़ंजीर की सूरत आ
दस्त-ए-नवा तहरीर की सूरत आ
मिलना क्या है बैठ किनारे हो
कुछ तो बने ता'मीर की सूरत आ
तर्ज़-ए-कशीदा क्यूँ ये तिरा मुझ से
तौर-ए-जराहत तीर की सूरत आ
मा'नी लफ़्ज़ की लौह को निगले जब
मिस्ल-ए-कुन ता'बीर की सूरत आ
ख़ुश्क आँखों को दीद से ख़ीरा कर
ख़्वाब उभर शमशीर की सूरत आ
ग़ज़ल
दस्तक दे ज़ंजीर की सूरत आ
मेहदी जाफ़र