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दस्तक दे ज़ंजीर की सूरत आ | शाही शायरी
dastak de zanjir ki surat aa

ग़ज़ल

दस्तक दे ज़ंजीर की सूरत आ

मेहदी जाफ़र

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दस्तक दे ज़ंजीर की सूरत आ
दस्त-ए-नवा तहरीर की सूरत आ

मिलना क्या है बैठ किनारे हो
कुछ तो बने ता'मीर की सूरत आ

तर्ज़-ए-कशीदा क्यूँ ये तिरा मुझ से
तौर-ए-जराहत तीर की सूरत आ

मा'नी लफ़्ज़ की लौह को निगले जब
मिस्ल-ए-कुन ता'बीर की सूरत आ

ख़ुश्क आँखों को दीद से ख़ीरा कर
ख़्वाब उभर शमशीर की सूरत आ