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दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री | शाही शायरी
dasht-e-be-ab ki tarah guzri

ग़ज़ल

दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री

अमजद इस्लाम अमजद

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दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री
ज़िंदगी ख़्वाब की तरह गुज़री

चश्म-ए-पुर-आब से तिरी ख़्वाहिश
रक़्स-ए-महताब की तरह गुज़री

एक सूरत को ढूँडते हर शब
चश्म-ए-बे-ख़्वाब की तरह गुज़री

हिज्र की अंजुमन से हर साअ'त
अश्क-ए-बे-ताब की तरह गुज़री

दास्ताँ मेरी इस कहानी के
अन-पढ़े बाब की तरह गुज़री

दिल के दरिया से हर ख़ुशी 'अमजद'
एक गिर्दाब की तरह गुज़री