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दर्द का हाल आह से पूछो | शाही शायरी
dard ka haal aah se puchho

ग़ज़ल

दर्द का हाल आह से पूछो

अर्श मलसियानी

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दर्द का हाल आह से पूछो
दिल की बातें निगाह से पूछो

अज़्मत-ए-रहमत-ए-ख़ुदावंदी
आरज़ू-ए-गुनाह से पूछो

उन की पैहम नवाज़िशों का असर
मेरे हाल-ए-तबाह से पूछो

दिल-ए-ख़ुद्दार की ज़बूँ-हाली
होश इज़्ज़ ओ जाह से पूछो

पस्ती-ए-हर-बुलंदी-ए-दुनिया
मुंतहा-ए-निगाह से पूछो

अर्श पर क्यूँ दिमाग़ 'अर्श' उड़ा
मुफ़्त की वाह वाह से पूछो