EN اردو
दम कोई दम का है मेहमाँ अलविदा'अ | शाही शायरी
dam koi dam ka hai mehman alwidaa

ग़ज़ल

दम कोई दम का है मेहमाँ अलविदा'अ

नातिक़ गुलावठी

;

दम कोई दम का है मेहमाँ अलविदा'अ
दर्द-ओ-ग़म मेरे दिल-ओ-जाँ अलविदा'अ

आ गले मिल ले कि फिर मिलना कहाँ
अल-फ़िराक़ ऐ तेग़-ए-उर्यां अलविदा'अ

हो चुकी मेरी परेशानी की हद
ले अब ऐ ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ अलविदा'अ

बढ़ गया सामान-ए-नासाज़ी बहुत
अस्सलाम ऐ साज़-ओ-सामाँ अलविदा'अ

अब हमें रो बैठ रोना हो चुका
अलविदा'अ ऐ चश्म-ए-गिर्यां अलविदा'अ

अब कहाँ 'नातिक़' ये बद-मस्ती कहाँ
अल-फ़िराक़ ऐ बज़्म-ए-रिंदाँ अलविदा'अ