दम-ए-विसाल ये हसरत रही रही न रही 
जमाल-ए-यार की हैरत रही रही न रही 
उसे ये नाज़ था ख़ुद पर कि ज़िंदगी है मिरी 
सो ज़िंदगी की हक़ीक़त रही रही न रही 
कमाल कर के दिखाया है मेरी आँखों ने 
अब इन में पहली सी वहशत रही रही न रही 
लगा हुआ है ज़माना इसी तजस्सुस में 
वो मेरे पहलू की ज़ीनत रही रही न रही 
कोई भी रब्त मगर दाइमी नहीं होता 
किसी के हक़ में तबीअ'त रही रही न रही 
हज़ारों यार हज़ारों ही चाहने वाले 
मगर नसीब में ख़ल्वत रही रही न रही 
है कैसा ज़ोर का तूफ़ाँ बचें बचें न बचें 
रही रही न रही छत रही रही न रही 
यूँ अपने जज़्ब में गुम हो गया है अब 'सानी' 
शराब-ओ-मय की ज़रूरत रही रही न रही
        ग़ज़ल
दम-ए-विसाल ये हसरत रही रही न रही
वजीह सानी

