छुप गया यार ख़ुद-नुमा हो कर
रह गई चश्म-ए-शौक़ वा हो कर
बे-क़रारों से उन को शर्म आई
शोख़ियाँ रह गईं हया हो कर
क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी
तुम चले जाओगे ख़फ़ा हो कर
रूठ कर उन से हम कहाँ जीतें
वो मना लेते हैं ख़फ़ा हो कर
फँस गया दिल तो छोड़ दो हम को
अब कहाँ जाएँगे रिहा हो कर
दिल से कुछ कह रही हैं वो आँखें
देखें क्या ठहरे मशवरा हो कर
हाथ उठा कर तलाश-ए-दिल से 'हसन'
बैठ रहिए शिकस्ता-पा हो कर
ग़ज़ल
छुप गया यार ख़ुद-नुमा हो कर
हसन बरेलवी