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चलेगा नहीं मुझ पे फ़ुक़रा तुम्हारा | शाही शायरी
chalega nahin mujh pe fuqara tumhaara

ग़ज़ल

चलेगा नहीं मुझ पे फ़ुक़रा तुम्हारा

आग़ा शायर

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चलेगा नहीं मुझ पे फ़ुक़रा तुम्हारा
हटा लो कि ख़ंजर है झूटा तुम्हारा

मनाएँ तो अब जान दे कर मनाएँ
क़यामत है ये रूठ जाना तुम्हारा

बड़े सीधे सादे बड़े भूले भाले
कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा

बचा है जो साग़र में क्यूँ फेंकते हो
हमें दे दो हम पी लें झूटा तुम्हारा

ये क्या है सबब आज चुप चुप हो प्यारे
बताओ तो क्यूँ जी है कैसा तुम्हारा

उठाने पड़े ख़ाक से दल के टुकड़े
बड़ा प्यार था प्यार देखा तुम्हारा

ख़ुदा के लिए हाँ नहीं कुछ तो कह दो
कि मुँह तक रही है तमन्ना तुम्हारा

इलाज उस के बीमार का तुम करोगे
कहीं दिल चला है मसीहा तुम्हारा

चला 'शाएर' ज़ार तस्लीम लीजिए
भला हो भला मेरे दाता तुम्हारा