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चैन हो या बेचैनी हो पहले दिल घबराएगा | शाही शायरी
chain ho ya bechaini ho pahle dil ghabraega

ग़ज़ल

चैन हो या बेचैनी हो पहले दिल घबराएगा

नूह नारवी

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चैन हो या बेचैनी हो पहले दिल घबराएगा
जाते जाते जाएगी आते आते आएगा

क़ासिद आने जाने में थक थक कर घबराएगा
जाएगा फिर आएगा आएगा फिर जाएगा

ढूँडने वाली नज़रों नज़रों देखेंगे पहलू की तरफ़
उन की इस दिल-जूई पर मेरा दिल इतराएगा

दिल में उम्मीदें लाखों थीं कुछ निकलीं हैं कुछ बाक़ी हैं
ख़ैर कभी फिर आओगे फिर कभी देखा जाएगा

दैर-ओ-हरम के मालिक से हम कुछ माँगें भी तो सही
है वो बड़ा देने वाला देगा या दिलवाएगा

दिल के ख़ुद आज़ार-ओ-अलम दिल की क़द्र बढ़ाएँगे
होगा ये इक्सीर मगर ख़ाक में जब मिल जाएगा

नासेह आने वाला है दो ही बातें होनी हैं
या उसे हम समझाएँगे या वो हमें समझाएगा

शिकवा-ए-ग़म की महशर में हम को तो उम्मीद नहीं
सामने वो आ जाएँगे होश किसे रह जाएगा

दिल देने वाला ग़म से छुट जाएगा दिल दे कर
दिल लेने वाला दिल में दिल ले कर पछताएगा

'नूह' के रोने पर हँसना बेदर्दों का ख़्वाब नहीं
बहर-ए-मोहब्बत में इस से और भी तूफ़ान आएगा