चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें
कुछ तो अपने किए की लाज कर
उन से किस ने कहा था वो मुझ को
फ़र्द-ए-हस्ती में इंदिराज करें
रोज़ खटका सा दिल में रहता है
देखिए क्या वो हुक्म आज करें
फ़ुर्सत-ए-ज़ीस्त कम ही काम बहुत
कल जो करना है हम को आज करें
चारागर भी न क्या करेंगे याद
कर सकें जिस क़दर इलाज करें
सब उसी की सी कह रहे हैं 'अज़ीज़'
किस से हम अर्ज़-ए-एहतियाज करें
ग़ज़ल
चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें
अज़ीज़ लखनवी