चाहिए दुनिया न उक़्बा चाहिए
जो तुझे चाहे उसे क्या चाहिए
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से
दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए
ताब-ए-नज़्ज़ारा इन आँखों को कहाँ
देखने वालों से पर्दा चाहिए
मुझ को देखो और मेरी आरज़ू
इक हसीं अच्छे से अच्छा चाहिए
वो बहुत देर-आश्ना है ऐ 'जलील'
आश्नाई को ज़माना चाहिए

ग़ज़ल
चाहिए दुनिया न उक़्बा चाहिए
जलील मानिकपूरी