EN اردو
चाहिए दुनिया न उक़्बा चाहिए | शाही शायरी
chahiye duniya na uqba chahiye

ग़ज़ल

चाहिए दुनिया न उक़्बा चाहिए

जलील मानिकपूरी

;

चाहिए दुनिया न उक़्बा चाहिए
जो तुझे चाहे उसे क्या चाहिए

ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से
दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए

ताब-ए-नज़्ज़ारा इन आँखों को कहाँ
देखने वालों से पर्दा चाहिए

मुझ को देखो और मेरी आरज़ू
इक हसीं अच्छे से अच्छा चाहिए

वो बहुत देर-आश्ना है ऐ 'जलील'
आश्नाई को ज़माना चाहिए