बुरी ख़बर है उसे मुश्तहर नहीं करते
किसी के ऐब को यूँ बे-हुनर नहीं करते
मिरे बुज़ुर्ग हैं तूल-ए-कलाम के शैदा
कहानियों को कभी मुख़्तसर नहीं करते
मुझे भी शौक़ है दुनिया को फ़त्ह करने का
मगर पहाड़ को उजलत में सर नहीं करते
न जाने कौन सा मौसम हो फूल-पत्तों का
इसी लिए तो ये पौदे सफ़र नहीं करते
मैं आज अपने ही अख़्लाक़ से परेशाँ हूँ
तकल्लुफ़ात मुझे मो'तबर नहीं करते
ग़ज़ल
बुरी ख़बर है उसे मुश्तहर नहीं करते
जावेद नासिर