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बुझ गया दिल तो ख़बर कुछ भी नहीं | शाही शायरी
bujh gaya dil to KHabar kuchh bhi nahin

ग़ज़ल

बुझ गया दिल तो ख़बर कुछ भी नहीं

खलील तनवीर

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बुझ गया दिल तो ख़बर कुछ भी नहीं
अक्स-ए-आईने नज़र कुछ भी नहीं

शब की दीवार गिरी तो देखा
नोक-ए-नश्तर है सहर कुछ भी नहीं

जब भी एहसास का सूरज डूबे
ख़ाक का ढेर बशर कुछ भी नहीं

एक पल ऐसा कि दुनिया बदले
यूँ तो सदियों का सफ़र कुछ भी नहीं

हर्फ़ को बर्ग-ए-नवा देता हूँ
यूँ मिरे पास हुनर कुछ भी नहीं