बिखरना टूटना भी और अना के साथ भी रहना
सितम ईजाद भी करना वफ़ा के साथ भी रहना
तिरा अंदाज़ ऐसा है अँधेरों की कहानी में
जलाना कुछ दिए भी और हवा के साथ भी रहना
यहाँ तो शोख़ियों को अपनी ज़ेबाई से मतलब है
लहू में भी मचलना और हिना के साथ भी रहना
अजब रंग-ए-तअल्लुक़ है मोहब्बत का मिरे दिल से
कि इस को तोड़ना भी और सदा के साथ भी रहना
हरम और दैर सब नक़्श-ए-मोहब्बत हैं सो दिल को है
ख़द-ओ-ख़ाल-ए-बुताँ में भी ख़ुदा के साथ भी रहना
लहू का हाल है 'जावेद' ऐसा जैसे नश्शा हो
धड़कना दिल में भी बाद-ए-सबा के साथ भी रहना
ग़ज़ल
बिखरना टूटना भी और अना के साथ भी रहना
जावेद अहमद