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बिगड़ी बात बनाना मुश्किल बड़ी बात बनाए कौन | शाही शायरी
bigDi baat banana mushkil baDi baat banae kaun

ग़ज़ल

बिगड़ी बात बनाना मुश्किल बड़ी बात बनाए कौन

किश्वर नाहीद

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बिगड़ी बात बनाना मुश्किल बिगड़ी बात बनाए कौन
कुंज-ए-तमन्ना वीराना है आ कर फूल खिलाए कौन

तन की दौलत मन की दौलत सब ख़्वाबों की बातें हैं
नौ मन तेल न हो तो घर में राधा को नचवाये कौन

अपना ग़म अब ख़ुद ही उठा ले वर्ना रुस्वाई होगी
तेरा भेद छुपा कर दिल में नाहक़ बोझ उठाए कौन

चलती गाड़ी नाम का रिश्ता क्या मोहन क्या राधा आज
बन के सँवर के रास रचा के मोहन आज मनाए कौन

सागर पार की ख़बरें देखे हम-साए का पता नहीं
आज का इंसाँ आलम फ़ाज़िल उस को अब समझाए कौन

ना-उम्मीदी नाम-ए-तमन्ना अपना मुक़द्दर हिज्र-ए-मुसलसल
दर्द के ख़ारिस्तान में आ के दामन-ए-दिल उलझाए कौन

रात भी काली चादर ओढ़े आ पहुँची है ज़ीने में
मेहंदी लगाए बैठी सोचे लट उलझी सुलझाए कौन