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भूक कम कम है प्यास कम कम है | शाही शायरी
bhuk kam kam hai pyas kam kam hai

ग़ज़ल

भूक कम कम है प्यास कम कम है

इमरान शनावर

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भूक कम कम है प्यास कम कम है
अब तो जीने की आस कम कम है

साँस लेते थे हिज्र मौसम में
अब ये मौसम भी रास कम कम है

तितलियाँ उड़ गईं ये ग़म ले कर
अब के फूलों में बास कम कम है

दिल जो मिलने की ज़िद नहीं करता
अब ये रहता उदास कम कम है

अपनी हालत उसे बता न सकूँ
वो जो चेहरा-शनास कम कम है