भला-बुरा वो ख़ुदा करेगा
ग़रीब तो बस दुआ करेगा
तेरी जुदाई को याद कर के
कई दफ़ा दिल बुझा करेगा
मिलाया है जब ख़ुदा ने हम को
तो कौन हम को जुदा करेगा
जिएँगे तेरे बग़ैर भी हम
मगर बहुत दिल दुखा करेगा
कभी मिलोगे ये सोच कर दिल
हज़ार सपने बुना करेगा
ये साँसें तेरे बग़ैर चुप हैं
तिरे बिना दम घुटा करेगा
'अहद' वो ख़ुद को फ़रेब देगा
जो वक़्त को अन-सुना करेगा
ग़ज़ल
भला-बुरा वो ख़ुदा करेगा
अमित अहद