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बेवफ़ा कहिए बा-वफ़ा कहिए | शाही शायरी
bewafa kahiye ba-wafa kahiye

ग़ज़ल

बेवफ़ा कहिए बा-वफ़ा कहिए

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

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बेवफ़ा कहिए बा-वफ़ा कहिए
दिल में आए जो बरमला कहिए

उन के ज़ुल्म-ओ-सितम का क्या शिकवा
हुस्न की शोख़ी-ए-अदा कहिए

दे दिया दिल किसी सितमगर को
आप चाहे उसे ख़ता कहिए

हर ख़ुशी का निखार है उस में
लज़्ज़त-ए-ग़म को और क्या कहिए

दिल कभी उस को मानता ही नहीं
आप ख़ुद को न बेवफ़ा कहिए

अपने दामन की कुछ ख़बर है 'मजीद'
सोच कर ख़ुद को पारसा कहिए