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बेकली से मुझे राहत होगी | शाही शायरी
bekali se mujhe rahat hogi

ग़ज़ल

बेकली से मुझे राहत होगी

हसरत मोहानी

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बेकली से मुझे राहत होगी
छेड़ दें आप इनायत होगी

वस्ल में उन के क़दम चूमेंगे
वो भी गर उन की इजाज़त होगी

बे-क़रारी के मज़े लूटेंगे
आज फिर दर्द की शिद्दत होगी

एक दिन खोल के जी रो लेंगे
ज़ब्त-ए-ग़म की जो इजाज़त होगी

क़िस्सा-ए-ग़म न कहूँगा 'हसरत'
जौर की उन के शिकायत होगी