बेबसी ऐसी भी होती है भला
ज़िंदगी ऐसी भी होती है भला
रौशनी अब मेरे अश्कों से है बस
तीरगी ऐसी भी होती है भला
हँसते हँसते हो गया बर्बाद मैं
ख़ुश-दिली ऐसी भी होती है भला
चीख़ता रहता हूँ अक्सर बे-सबब
बेकसी ऐसी भी होती है भला
जी रहा हूँ मैं उसे देखे बग़ैर
बे-हिसी ऐसी भी होती है भला
पूछते हो ऐब औरों से मिरे
दोस्ती ऐसी भी होती है भला
ज़िंदगी ऐसी ही होती है भई
ज़िंदगी ऐसी भी होती है भला
रंग ही चेहरे पे लहराते हैं अब
जाँ-कनी ऐसी भी होती है भला
हैं लहू की बूँदें अब मेरी सिपाह
सर-कशी ऐसी भी होती है भला
एक ही सूरत यहाँ चारों तरफ़
रौशनी ऐसी भी होती है भला
गाल झुलसे जा रहे हैं क्यूँ मिरे
चाँदनी ऐसी भी होती है भला
ग़ज़ल
बेबसी ऐसी भी होती है भला
अहमद अता