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बे-ख़ुदी ले उड़ी हवास कहीं | शाही शायरी
be-KHudi le uDi hawas kahin

ग़ज़ल

बे-ख़ुदी ले उड़ी हवास कहीं

सैफ़ुद्दीन सैफ़

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बे-ख़ुदी ले उड़ी हवास कहीं
है कोई दिल के आस-पास कहीं

हुस्न जल्वा दिखा गया अपना
इश्क़ बैठा रहा उदास कहीं

हम बईद ओ क़रीब ढूँड चुके
वो कहीं दूर है न पास कहीं

सब्र ही आए अब क़रार तो क्या
टूट ही जाए दिल की आस कहीं

'सैफ़' ख़ून-ए-जिगर पड़ा पीना
ऐसे बुझती है दिल की प्यास कहीं