बे-असर बे-समर तिरा मिलना
सिर्फ़ तस्वीर-भर तिरा मिलना
आ गईं दरमियान संगीनें
हो गया मो'तबर तिरा मिलना
मछलियाँ हाथ में नहीं रुकतीं
मुख़्तलिफ़ है मगर तिरा मिलना
शहर की बत्तियाँ न गुल कर दे
रात पिछले पहर तिरा मिलना
मंज़िलों का सुराग़ हो जैसे
आज इस मोड़ पर तिरा मिलना

ग़ज़ल
बे-असर बे-समर तिरा मिलना
हमीद गौहर