बयाबाँ मर्ग है मजनून-ए-ख़ाक-आलूदा-तन किस का
सिए है सोज़न-ए-ख़ार-ए-मुग़ीलाँ तू कफ़न किस का
ब-गर्द-ए-कारवाँ दिल जूँ जरस है नारा-ज़न किस का
अज़ीज़ो कम हुआ है यूसुफ़-ए-गुल-पैरहन किस का
पड़ा रहने दे अब है तुझ को फ़िक्र-ए-ग़ुस्ल-ए-तन किस का
शहीद-ए-नाज़ हूँ तेरा लहद किस की कफ़न किस का
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ग़ज़ल
बयाबाँ मर्ग है मजनून-ए-ख़ाक-आलूदा-तन किस का
शाह नसीर