बताऊँ क्या कि मिरे दिल में क्या है
सिवा तेरे तिरी महफ़िल में क्या है
बताऊँ क्या कि मेरे दिल में क्या है
तू ही तू है भरी महफ़िल में क्या है
किसी के बुझते दिल की है निशानी
चराग़-ए-सरहद-ए-मंज़िल में क्या है
ब-जुज़ नक़्श-ए-पशेमानी-ए-क़ातिल
निगाह-ए-हसरत-ए-बिस्मिल में क्या है
जफ़ाओं की भी हद होती है कोई
ख़ुदा मा'लूम उस के दिल में क्या है
मआल-ए-हस्ती-ए-मौहूम मा'लूम
'अज़ीज़' इस शग़्ल-ए-ला-हासिल में क्या है
ग़ज़ल
बताऊँ क्या कि मिरे दिल में क्या है
अज़ीज़ लखनवी