बस-कि इक जिंस-ए-राएगाँ हूँ मैं
जितना अर्ज़ां बिकूँ गिराँ हूँ मैं
न यहाँ और न अब वहाँ हूँ मैं
क्या बताऊँ तुम्हें जहाँ हूँ मैं
याद में है किसी की इस्तिग़राक़
कौन पहुँचे वहाँ जहाँ हूँ मैं
मदद ऐ नग़्मा-संजी-ए-बुलबुल
कब से गुम-कर्दा आशियाँ हूँ मैं
ढब है ये यार तक पहुँचने का
काश क़ासिद ही का बयाँ हूँ मैं
नय की मानिंद ख़ुश्क हैं आ'ज़ा
क्यूँ न सर-ता-बा-पा फ़ुग़ाँ हूँ मैं
लुत्फ़ पाया है ख़ाकसारी में
हूँ ज़मीं गो कि आसमाँ हूँ मैं
किस ने जल्वा दिखा दिया है आज
ज़मज़मा-संज-ए-अल-अमाँ हूँ मैं
ता-कुजा तेज़-गामियाँ बस कर
तौसन-ए-शौक़ हम-इनाँ हूँ मैं
गर्द देती है कारवाँ का पता
यादगार-ए-गुज़िश्तगाँ हूँ मैं
जान क्यूँकर निसार-ए-मक़दम हो
अब वो आए कि नीम-जाँ हूँ मैं
क्या नहीं याद बर्क़ का गिरना
फिर बनाता जो आशियाँ हूँ मैं
ये सफ़र देखिए कहाँ हो तमाम
मिस्ल-ए-रेग-ए-रवाँ रवाँ हूँ मैं
कोई इस अहद में नहीं है शफ़ीक़
आप अपने पे मेहरबाँ हूँ मैं
देख पछताएगा न ले के मुझे
माया-ए-नाज़िश-ए-दुकाँ हूँ मैं
इश्क़ में सौ बलाएँ लीं सर पर
अपने हक़ में ख़ुद आसमाँ हूँ मैं
क़द्र क्यूँ ख़्वान-ए-दहर पर हो मिरी
सच है ना-ख़्वांदा मेहमाँ हूँ मैं
अव्वल-ए-शब ही हिज्र में उन के
ढूँढता ख़ंजर-ओ-सिनाँ हूँ मैं
न टला उस के दर से ऐ 'मजरूह'
दूसरा संग-ए-आस्ताँ हूँ मैं
ग़ज़ल
बस कि इक जिंस-ए-राएगाँ हूँ मैं
मीर मेहदी मजरूह