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बंदे हैं तेरी छब के मह से जमाल वाले | शाही शायरी
bande hain teri chhab ke mah se jamal wale

ग़ज़ल

बंदे हैं तेरी छब के मह से जमाल वाले

वली उज़लत

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बंदे हैं तेरी छब के मह से जमाल वाले
सब गुल से गाल वाले सुम्बुल से बाल वाले

सीधी अदा भी भूले गए दाग़ हो छबीले
ऐ टेढ़ी चाल वाले ठोड़ी के ख़ाल वाले

मत हो तू नीला पीला बख़्त-ए-सियह कर उजले
ऐ अल्फी शाल वाले भगवे रुमाल वाले

कर सुर्मा ख़ाकसारी दिल के नयन से देखा
चल गए वो हाल वाले रह गए हैं क़ाल वाले

धूपों में पी जो निकले तब आब-पाशी करने
दंग-ओ-दिवाल वाले होवें पखाल वाले

'उज़लत' की आहों आगे तेरी निगाहों आगे
क्या शो'ले झाल वाले क्या नेज़े भाल वाले