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बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का | शाही शायरी
baaton mein DhunDte hain wo pahlu malal ka

ग़ज़ल

बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का

शेर सिंह नाज़ देहलवी

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बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का
मतलब ये है कि ज़िक्र न आए विसाल का

क्या ज़िक्र उन से कीजिए दिल के मलाल का
है ख़ामुशी जवाब मिरे हर सवाल का

ता उम्र फिर न तालिब-ए-जल्वा हुए कलीम
देखा जो एक बार करिश्मा जमाल का

रुख़ पर पड़ी हुई है नक़ाब-ए-शुआ-ए-हुस्न
मौक़ा' नज़र को ख़ाक मिले देख-भाल का

हम ना-मुराद-ए-इश्क़ वो हिज्राँ-नसीब हैं
देखा न हम ने मुँह कभी शाम-ए-विसाल का

बूद-ओ-नबूद कहते हैं अहल-ए-जहाँ जिसे
अदना सा शो'बदा है तिलिस्म-ए-ख़याल का