बाद-ए-सरसर की करामात से पहले क्या था
ये न पूछो कि यहाँ रात से पहले क्या था
अब तो वो नस्ल भी मादूम हुई जाती है
जो बताती थी फ़सादात से पहले क्या था
ऐ समुंदर तिरी आँखें हैं यहाँ सब से क़दीम
इस जज़ीरे पे मकानात से पहले क्या था
ऐ ज़मीं कितनी पुरानी है ये नीली चादर
तेरे शानों पे समावात से पहले क्या था
इश्क़ एलान से पहले था 'शनावर' क्या चीज़
हुस्न इज़हार-ए-ख़यालात से पहले क्या था
ग़ज़ल
बाद-ए-सरसर की करामात से पहले क्या था
शनावर इस्हाक़