असर ऐसा है तप-ए-ग़म में दवा का उल्टा
नब्ज़ देखे तो हो बीमार मसीहा उल्टा
हम-सरी की क़द-ए-मौज़ूँ ओ रुख़-ए-रौशन से
चोर की तरह दिया शम्अ को लटका उल्टा
सुब्ह को चेहरा-ए-ख़ुर्शीद किरन से निकला
सर से उस मह ने जो मक़ईस का सेहरा उल्टा
ख़फ़क़ान-ए-ग़म-ए-फ़ुर्क़त से दिल ऐसा उल्टा
मुँह के बाहर निकल आया जो कलेजा उल्टा
हसरत-ए-दीद में आख़िर को दम अपना उल्टा
पर्दा-ए-चश्म न उस शोख़ ने अपना उल्टा
नाज़ ओ अंदाज़ ने दीवाना बनाया दिल को
उस परी ने जो दम-ए-रक़्स दुपट्टा उल्टा
मैं तो करता नहीं ऐ 'अर्श' गिला फ़ुर्क़त का
शिकवा-ए-बख़्त वो कज-बाज़ है करता उल्टा
ग़ज़ल
असर ऐसा है तप-ए-ग़म में दवा का उल्टा
मीर कल्लू अर्श