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अपने आँचल में छुपा कर मिरे आँसू ले जा | शाही शायरी
apne aanchal mein chhupa kar mere aansu le ja

ग़ज़ल

अपने आँचल में छुपा कर मिरे आँसू ले जा

अज़हर इनायती

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अपने आँचल में छुपा कर मिरे आँसू ले जा
याद रखने को मुलाक़ात के जुगनू ले जा

मैं जिसे ढूँडने निकला था उसे पा न सका
अब जिधर जी तिरा चाहे मुझे ख़ुश्बू ले जा

आ ज़रा देर को और मुझ से मुलाक़ात के बा'द
सोचने के लिए रौशन कोई पहलू ले जा

हादसे ऊँची उड़ानों में बहुत होते हैं
तजरबा तुझ को नहीं है मिरे बाज़ू ले जा

जो भी अब हाथ मिलाता है तुझे पूछता है
आ मिरे हाथों से ये लम्स की ख़ुश्बू ले जा

लोग उस शहर में क्या जाने हों कैसे कैसे
मेरा लहजा मिरे इख़्लास का जादू ले जा