अंदेशा-ए-अर्बाब-हरम साथ रहेगा
जन्नत भी मिलेगी तो ये ग़म साथ रहेगा
प्यासे ही गुज़र जाएँगे हम राह-ए-तलब से
इबरत के लिए साग़र-ए-जम साथ रहेगा
मंज़िल से पलट आएगी एक एक तजल्ली
हाँ शो'ला-ए-रुख़्सार-ए-सनम साथ रहेगा
तू और न आए दर-ज़िंदान-ए-वफ़ा तक
मर कर भी ये ग़म तेरी क़सम साथ रहेगा
अफ़्लाक से पलकों पे उतर आएँगे तारे
खुल कर भी शब-ए-ग़म का भरम साथ रहेगा
मय-ख़ाना बहुत दूर नहीं दीदा-ए-नम से
आ गर्दिश-ए-दौराँ कोई दम साथ रहेगा
राहों में 'क़तील' आएँगे सौ आइना-ख़ाने
लेकिन मिरा गुल-पोश क़लम साथ रहेगा
ग़ज़ल
अंदेशा-ए-अर्बाब-हरम साथ रहेगा
क़तील शिफ़ाई