अजीब तौर की है अब के सरगिरानी मिरी
मैं तुझ को याद भी कर लूँ तो मेहरबानी मिरी
मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद
मिरे सफ़र से अलग हो गई रवानी मिरी
बस एक मोड़ मिरी ज़िंदगी में आया था
फिर इस के बा'द उलझती गई कहानी मिरी
तबाह हो के भी रहता है दिल को धड़का सा
कि राएगाँ न चली जाए राएगानी मिरी
मैं अपने बा'द बहुत याद आया करता हूँ
तुम अपने पास न रखना कोई निशानी मिरी
ग़ज़ल
अजीब तौर की है अब के सरगिरानी मिरी
अब्बास ताबिश