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अजब सूरत से दिल घबरा रहा है | शाही शायरी
ajab surat se dil ghabra raha hai

ग़ज़ल

अजब सूरत से दिल घबरा रहा है

सिराज लखनवी

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अजब सूरत से दिल घबरा रहा है
हँसी के साथ रोना आ रहा है

मुझे दिल से भुलाया जा रहा है
पसीने पर पसीना आ रहा है

मुरव्वत शर्त है ऐ याद-ए-जानाँ
तमन्नाओं का जी घबरा रहा है

मिरी नींदें तो आँखों से उड़ा दीं
मगर ख़ुद वक़्त सोया जा रहा है

अदब कर ऐ ग़म-ए-दौराँ अदब कर
किसी की याद में फ़र्क़ आ रहा है

ये आधी रात ये काफ़िर अँधेरा
न सोता हूँ न जागा जा रहा है

ज़रा देखो ये सरकश ज़र्रा-ए-ख़ाक
फ़लक का चाँद बनता जा रहा है

'सिराज' अब दिलकशी क्या ज़िंदगी में
ब-मुश्किल वक़्त काटा जा रहा है