अजब सूरत से दिल घबरा रहा है
हँसी के साथ रोना आ रहा है
मुझे दिल से भुलाया जा रहा है
पसीने पर पसीना आ रहा है
मुरव्वत शर्त है ऐ याद-ए-जानाँ
तमन्नाओं का जी घबरा रहा है
मिरी नींदें तो आँखों से उड़ा दीं
मगर ख़ुद वक़्त सोया जा रहा है
अदब कर ऐ ग़म-ए-दौराँ अदब कर
किसी की याद में फ़र्क़ आ रहा है
ये आधी रात ये काफ़िर अँधेरा
न सोता हूँ न जागा जा रहा है
ज़रा देखो ये सरकश ज़र्रा-ए-ख़ाक
फ़लक का चाँद बनता जा रहा है
'सिराज' अब दिलकशी क्या ज़िंदगी में
ब-मुश्किल वक़्त काटा जा रहा है
ग़ज़ल
अजब सूरत से दिल घबरा रहा है
सिराज लखनवी