अजब है रंग-ए-चमन जा-ब-जा उदासी है
महक उदासी है बाद-ए-सबा उदासी है
नहीं नहीं ये भला किस ने कह दिया तुम से
में ठीक-ठाक हूँ हाँ बस ज़रा उदासी है
मैं मुब्तला कभी होता नहीं उदासी में
मैं वो हूँ जिस में कि ख़ुद मुब्तला उदासी है
तबीब ने कोई तफ़्सील तो बताई नहीं
बहुत जो पूछा तो इतना कहा उदासी है
गुदाज़ क़ल्ब ख़ुशी से भला किसी को मिला
अज़ीम वस्फ़ ही इंसान का उदासी है
शदीद दर्द की रू है रवाँ रग-ए-जाँ में
बला का रंज है बे-इंतिहा उदासी है
फ़िराक़ में भी उदासी बड़े कमाल की थी
पस-ए-विसाल तो इस से सिवा उदासी है
तुम्हें मिले जो ख़ज़ाने तुम्हें मुबारक हों
मिरी कमाई तो ये बे-बहा उदासी है
छुपा रही हो मगर छुप नहीं रही मिरी जाँ
झलक रही है जो ज़ेर-ए-क़बा उदासी है
मुझे मसाइल-ए-कौन-ओ-मकाँ से क्या मतलब
मिरा तो सब से बड़ा मसअला उदासी है
फ़लक है सर पे उदासी की तरह फैला हुआ
ज़मीं नहीं है मिरे ज़ेर-ए-पा उदासी है
ग़ज़ल के भेस में आई है आज महरम-ए-दर्द
सुख़न की ओढ़े हुए है रिदा उदासी है
अजीब तरह की हालत है मेरी बे-अहवाल
अजीब तरह की बे माजरा उदासी है
वो कैफ़-ए-हिज्र में अब ग़ालिबन शरीक नहीं
कई दिनों से बहुत बे-मज़ा उदासी है
वो कह रहे थे कि शाइर ग़ज़ब का है 'इरफ़ान'
हर एक शेर में क्या ग़म है क्या उदासी है
ग़ज़ल
अजब है रंग-ए-चमन जा-ब-जा उदासी है
इरफ़ान सत्तार