ऐ यास मिरा घर तिरा मस्कन तो नहीं है
दिल है ये तमन्नाओं का मदफ़न तो नहीं है
क्या बात है गुलज़ार है क्यूँ बर्क़ से महफ़ूज़
बे-बर्ग मिरी शाख़-ए-नशेमन तो नहीं है
हाँ दीदा-ए-तहक़ीक़ से ऐ ज़ौक़-ए-सफ़र देख
रहबर जिसे समझा है वो रहज़न तो नहीं है
तकलीफ़ असीरी की शिकायत न कर ऐ दिल
ये कुंज-ए-क़फ़स कुंज-ए-नशेमन तो नहीं है
आओ कि तमन्नाओं में है ताब-ए-नज़ारा
ये दिल है मिरा वादी-ए-ऐमन तो नहीं है
छू कर ही जिसे आतिश-ए-दोज़ख़ हुई ठंडी
दामन ये किसी रिंद का दामन तो नहीं है
मंज़ूर है कुछ जाँच तिरे अज़्म की उस को
दर-अस्ल ज़माना तिरा दुश्मन तो नहीं है
बे-सई-ए-अमल ख़ाक है इंसान को जीना
ये रज़्म-ए-गह-ए-ज़ीस्त है मदफ़न तो नहीं है
सय्याद इजाज़त कि ज़रा देख तो आऊँ
जलता है जो वो मेरा नशेमन तो नहीं है
देखो तो रहा दश्त-नवर्दी पे जो नाज़ाँ
वो 'अर्श' रवाँ जानिब-ए-गुलशन तो नहीं है
ग़ज़ल
ऐ यास मिरा घर तिरा मस्कन तो नहीं है
अर्श मलसियानी