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ऐ सितमगर नहीं देखा जाता | शाही शायरी
ai sitamgar nahin dekha jata

ग़ज़ल

ऐ सितमगर नहीं देखा जाता

मिर्ज़ा मायल देहलवी

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ऐ सितमगर नहीं देखा जाता
ज़ख़्म दिल पर नहीं देखा जाता

हम से ज़ाहिद को बराबर अपने
लब-ए-कौसर नहीं देखा जाता

दश्त की जिस में कोई बात न हो
हम से वो घर नहीं देखा जाता

हम ने देखा ही नहीं जल्वा-ए-यार
कहें क्यूँ-कर नहीं देखा जाता

देखना शौक़-ए-शहादत मेरा
मुझ से ख़ंजर नहीं देखा जाता

तूर पर देखने जाते हैं 'कलीम'
दिल के अंदर नहीं देखा जाता