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अगर वो बे-अदब है बे-अदब लिख | शाही शायरी
agar wo be-adab hai be-adab likh

ग़ज़ल

अगर वो बे-अदब है बे-अदब लिख

अब्दुस्समद ’तपिश’

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अगर वो बे-अदब है बे-अदब लिख
कभी जो लिख नहीं पाया वो अब लिख

तमाज़त हिर्स की हद से बढ़ी है
समुंदर ख़ुद हुआ है तिश्ना-लब लिख

अना मेरी ज़बाँ खुलने न देगी
मुझे तू जितना चाहे बे-तलब लिख

कमीना सारी दुनिया तेरे आगे
मगर अपना भी तो नाम-ओ-नसब लिख

मिरी क़िंदील-ए-जाँ जलती है शब भर
ज़रा अपनी भी तो रूदाद-ए-शब लिख

'तपिश' तेरे लिए मेरी दुआ है
जो हक़ तू जानता है सब का सब लिख